सुबह की सैर
रात पहियों पर आती है
सड़क किनारे जगह-जगह
खाली बोतलें और नमकीन के
खाली पैकेट
बिखरा जाती है।
सुबह फटी साड़ी लपेटे
बड़ा सा थैला टांगे
खड़खड़ टूटी चप्पल में चली आती है।
समेट लेती है वो
रात की गंदगी
के जा सके भक्त
उसी राह पर
करने बन्दगी।
रात पहियों पर आती है
सड़क किनारे जगह-जगह
खाली बोतलें और नमकीन के
खाली पैकेट
बिखरा जाती है।
सुबह फटी साड़ी लपेटे
बड़ा सा थैला टांगे
खड़खड़ टूटी चप्पल में चली आती है।
समेट लेती है वो
रात की गंदगी
के जा सके भक्त
उसी राह पर
करने बन्दगी।
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